धर्मसंस्थापनार्थाय- सृष्टि के आदि में सनातन धर्म की स्थापना स्वयं परमात्मा ने की थी | श्री कृष्ण भगवान ने गीता मे जो उपदेश दिया है वही सनातन धर्म है |
इमं विवस्वते योगं प्रोक्तवानहमव्ययम्।
विवस्वान् मनवे प्राह मनुरिक्ष्वाकवेऽब्रवीत्।।4.1।।श्री कृष्ण भगवान् गीता मे बोले - मैंने इस अविनाशी सनातन धर्म को सूर्य से कहा था। फिर सूर्यने (अपने पुत्र) वैवस्वत मनुसे कहा और मनुने (अपने पुत्र) राजा इक्ष्वाकुसे कहा। परंपरा से यह सनातन धर्म आगे प्राप्त होता रहा |
सनातन धर्म की स्थापना कृष्ण भगवान् ने की , धर्मकी संस्थापना करनेके लिये भगवान् अवतार लेते हैं। संस्थापना करनेका अर्थ है-- सम्यक् स्थापना करना। तात्पर्य है कि धर्म का कभी नाश नहीं होता, केवल ह्रास होता है। धर्मका ह्रास होनेपर भगवान् पुनः उसकी अच्छी तरह पुनः स्थापना करते हैं |